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वह शहीद नहीं था

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उसने कब कहा शहीद हूँ मैं फांसी का रस्सा चूमने से कुछ रोज पहले उसने तो केवल यही कहा था कि मुझसे बढ़ कौन होगा खुशकिस्मत मुझे नाज है अपने - आप पर अब तो बेहद बेताबी से अन्तिम परीक्षा कि है प्रतीक्षा मुझे कब कहा था उसने : मैं शहीद हूँ शाहिद तो उसे धरती ने कहा था सतलुज कि गवाही पर शहीद तो , पाँचों दरिया ने कहा था गंगा ने कहा था ब्रम्हपुत्र ने कहा था शहीद तो उसे वृक्षों के पत्तों पत्तों ने कहा था आप जो अब धरती से युद्धरत हो आप जो नदियों से युद्धरत हो आपके लिए बस दुआ ही मांग सकता हूँ कि बचाएँ आपको रब्ब धरती के शाप से नदियों कि बद्दुआ से वृक्षों की चीत्कार से --- सुरजीत पातर

क्या पत्रकारों को धर्म निरपेक्ष होना चाहिए ?

हमारी कक्षा में एक लेख प्रतियोगिता आयोजित किया है -"क्या पत्रकार को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए "। हम भावी पत्रकारों को सिखाया पढाया जरूर जाता है धर्मनिरपेक्ष होना लेकिन पत्रकारों की टोली में ऐसे लोग भी शामिल है जो व्यवहारत: धर्मनिरपेक्ष नही होते परन्तु पत्रकारों की टोली में तो वो भी शामिल हैं। इसका साक्ष्य प्रमाण तो मुझे अपनी कक्षा में ही मिल गया था जब "मुस्लिम समुदायों की समस्याओं "पर परिचर्चा का आयोजन किया गया था ।

खामोशी

यक्ष प्रश्न . कृपया जवाब दे

वेलेनटाईन डे यानी १४ फरवरी के ठीक नौ महीने बाद बाल दिवस क्यों आता है?